गुरुवार, 21 मार्च 2013
गुरुवार, 7 मार्च 2013
अब मैं जवान होने लगा
दूर, बहुत दूर होने लगा-
बचपन का नटखटपन.
बचपन का नटखटपन.
रहने लगा गंभीर.
सोचने लगा भुत, भविष्य और वर्तमान.
मुछो की रेघारिया-
अब स्पस्ट दिखने लगी.
अपने – पराये, उंच-नीच, जात-पात,
सब कुछ समझने लगा.
अब मैं जवान होने लगा.
सोचने लगा भुत, भविष्य और वर्तमान.
मुछो की रेघारिया-
अब स्पस्ट दिखने लगी.
अपने – पराये, उंच-नीच, जात-पात,
सब कुछ समझने लगा.
अब मैं जवान होने लगा.
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