गुरुवार, 10 जुलाई 2014

व्यवसाय के गुर




अग्रवाल जी अक्सर अपने बड़े बेटे को साथ लेकर खड़गपुर जाया करते थे / खड़गपुर में उनकी ठेकेदारी चलती थी / जिस कारखाने में उनकी ठेकेदारी चलती थी उसकी दुरी स्टेशन से महज एक किलोमीटर होगी / लेकिन वे पैदल ना चलकर रिक्शा किराए पर ले लेते / रिक्सावाला उनसे इस दुरी के लिए दस रुपये मांगता / बिना मोल-भाव किये वे उसे दस रुपये दे देते /



एकदिन किसी कारणबस अग्रवाल जी नहीं आये / उनका बड़ा लड़का अकेले खड़गपुर स्टेशन पहुंचा / रिक्सावाला को उसी कारखाने तक चलने को कहा / रिक्शावाला तैयार हो गया / लडके ने किराया जानना चाहा / रिकसेवाले ने हमेशा की तरह दस रुपये बतलाये / लडके ने इतनी कम दुरी का हवाला देते हुए दस रुपये देने से इंकार कर दिया / मोल-भाव होते-होते आठ रुपये भाड़ा तय हुआ / उसने लौटते समय यह दुरी पैदल ही तय कर डाला / इस तरह कुल दस रुपये बचा डाले / उसने सोचा घर जाकर पिताजी को दस रुपये बचाने की बात सबसे पहले बतलायेगा / पिताजी बहुत खुश होंगे / खूब वाहवाही मिलेगी /