शनिवार, 1 सितंबर 2012

he maa ab is dhara par tum ana nahi

हे माँ अब तुम इस धरा पर फिर आना नहीं। 

गोवंश सब कसाईखानें  में शेष, 
तुमको लाने को बैलगाडी पाउँगा नहीं।
पेट्रोल, डीजल के आसमान छूते दाम ,
मोटर पे बैठा ला पाउँगा नहीं। 
भय, भूख, भ्रष्टाचार ने तोड़ दी कमर ऐसी,
अपने कंधो पर बैठा ला पाउँगा नहीं। 

आम, केला सेव सब केमिकल में सने, 
नकली फूलों का हार पहनाऊंगा नहीं।
धुप, दीप, नौबेद, घी सब मिल रहे मिलावटी,
नकली पूजन सामग्री चढाऊंगा नहीं।
अब तो घर में ही छुपे आतंकीयो से परेशान हैं हम,
तुम्हारे सुरक्षा की गारंटी दे पाउँगा नहीं। 

 हे माँ अब तुम इस धरा पर फिर आना नहीं। 

लेकिन हे  माँ-
जब हो जाये भारत भय, भूख, भ्रष्टाचार मुक्त,
फिर तुम आना यहाँ भूल जाना नहीं। 


भारत की स्थिति बहुत ख़राब चल रही है। रोज नये नये  घोटालों की खबर, आतंकबाद की घटना, भुखमरी की समाचार मन को बहुत कष्ट देती हैं। हम युवा केवल उचे उचे पद  और सेलरी के चक्कर में  फस कर देश की दुर्दशा को केवल देख रहे हैं। लेकिन हम नहीं समझ रहे हैं की केवल हम अपने चक्कर में अपनी उर्जा को नस्ट करते रहे तो एक दिन देश फिर गुलाम बन जायेगा। इसलिए आप से अनुरोध हैं की "अपने लिए कुछ और देश के लिए सब कुछ" के फार्मूले पर चल कर अपना और अपने आने वाली पिणी  का भविष्य सुरक्षित करे।