सोमवार, 12 नवंबर 2012

Chalo Deep Jalayen

चलो दीप जलाएं 


चलो दीप जलाएं, चलो दीप जलाएं।
जगत का अँधियारा सब मिलकर मिटायें।

रह न जाये धरा का कोई कोना अँधियारा।
रह न पाये धरा पर कोई पिछड़ा बेचारा।
जन- जन तक प्रकाश कुछ ऐसा फैलाएं।
चलो दीप जलाएं, चलो दीप जलाएं।

दहशतगर्दी के साए में कोई जिए नहीं।
अशिक्षा, कुपोषण की छाया तक पड़े नहीं।
आतंक, अशिक्षा, भुखमरी को मिलकर भगाएं।
चलो दीप जलाएं, चलो दीप जलाएं।

भ्रष्टाचार की काली मिटाकर दम लेंगे।
वतन की खातिर जियें, ये शपथ आज लेंगे।
शहीदों के याद में भी एक दिया जलाएं।
चलो दीप जलाएं, चलो दीप जलाएं।

विकास के दौड़ में  जो अब तक पिछडे रहे।
संसाधनों की कमी से जो दिन - रात जूझते रहे।
चलो उन अंतिम जन तक प्रकाश पहुचाये।
चलो दीप जलाएं, चलो दीप जलाएं।




  

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

Our Home

                                                


इश्वर, माँ , पिताजी और सभी चाहनेवालों के आशिर्बाद से  हमारा घर का सपना पूरा हुआ।

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

Pain of Divided Mother India


माँ का क्रन्दन

सुनती   हूँ  ना कि मै -
सैकड़ो वर्षो की पराधिनता से मुक्त हुई हूँ।
तुमने मेरी गुलामी की जंजीरों को काटकर,
मझे स्वतंत्र किया है।

शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

ठुठ (पेड़)


ठुठ  (पेड़)  

हे ! पथिक मुझे माँफ करना।
इस भरी दुपहरी में-
तुम्हारी तपन मिटाने  के लिए -
मेरे पास अपने हरे कोमल पत्तियों की छाया नहीं हैं।

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

This is the picture of the Conference Hall of our Administrative Building.

                                         I am hoisting our National Flag. 

शनिवार, 1 सितंबर 2012

he maa ab is dhara par tum ana nahi

हे माँ अब तुम इस धरा पर फिर आना नहीं। 

गोवंश सब कसाईखानें  में शेष, 
तुमको लाने को बैलगाडी पाउँगा नहीं।
पेट्रोल, डीजल के आसमान छूते दाम ,
मोटर पे बैठा ला पाउँगा नहीं। 
भय, भूख, भ्रष्टाचार ने तोड़ दी कमर ऐसी,
अपने कंधो पर बैठा ला पाउँगा नहीं। 

आम, केला सेव सब केमिकल में सने, 
नकली फूलों का हार पहनाऊंगा नहीं।
धुप, दीप, नौबेद, घी सब मिल रहे मिलावटी,
नकली पूजन सामग्री चढाऊंगा नहीं।
अब तो घर में ही छुपे आतंकीयो से परेशान हैं हम,
तुम्हारे सुरक्षा की गारंटी दे पाउँगा नहीं। 

 हे माँ अब तुम इस धरा पर फिर आना नहीं। 

लेकिन हे  माँ-
जब हो जाये भारत भय, भूख, भ्रष्टाचार मुक्त,
फिर तुम आना यहाँ भूल जाना नहीं। 


भारत की स्थिति बहुत ख़राब चल रही है। रोज नये नये  घोटालों की खबर, आतंकबाद की घटना, भुखमरी की समाचार मन को बहुत कष्ट देती हैं। हम युवा केवल उचे उचे पद  और सेलरी के चक्कर में  फस कर देश की दुर्दशा को केवल देख रहे हैं। लेकिन हम नहीं समझ रहे हैं की केवल हम अपने चक्कर में अपनी उर्जा को नस्ट करते रहे तो एक दिन देश फिर गुलाम बन जायेगा। इसलिए आप से अनुरोध हैं की "अपने लिए कुछ और देश के लिए सब कुछ" के फार्मूले पर चल कर अपना और अपने आने वाली पिणी  का भविष्य सुरक्षित करे।