शुक्रवार, 18 मार्च 2016

बामपंथी

कभी चीन-रूस के लिए -
जीते थे और मरते थे /
अब पाकिस्तान के पक्ष में -
लड़ते और झगड़ते है /
देश को टुकड़े करने का -
जो दिवास्वप्न देखते है /
साथ उनके खड़े होकर -
भारत मुर्दाबाद कहते है /
कश्मीर, केरल , बंगाल को -
भारत से अलग करवाएंगे /
"अफज़ल" की खेती करके -
घर -घर उसे उगाएंगे /
भारत माँ के संतानों सुनो /
नींद से तुम जग जाओ /
कमर कस के वीरों तुम,
इनकों इनकी औकात बताओ /
भारतवर्ष में रहना है तो -
देश से प्रेम करना होगा /
पाकिस्तान से है प्रेम तो -
हिन्दुस्थान छोड़ना होगा /
------राजेश कुमार श्रीवास्तव

बुद्धिजीवी

अपने मातृभूमि को , माटी का टुकड़ा समझते है /
राष्ट्रप्रेम को जो संकीर्ण मानसिकता कहते है /
राम, कृष्ण को जिसने कोरी कल्पना मान लिया /
रावण बन्दना को ही वे अपना धर्म समझते है /
जिस देश में विजयादशमी को खुशिया मनाई जाती है /
"महिषाषुर शहीद दिवस" मनाकर ये शोक जताते है /
मुग़ल और अफगानों को इन्होने भारतीय मान लिया /
लेकिन आर्यों को अब भी,  ये विदेशी बतलाते है /
दूध की किल्लत ने, बच्चों को कुपोषित कर दिया /
सडकों पर गोमांस खाकर धर्मनिरपेक्ष कहाते है /
देश के सुनहरे इतिहास को इन्होने  विकृत किया /
अपनी समृद्ध संस्कृति को अब दूषित ये करते है /
राष्ट्रप्रेमियों से घृणा इनको राष्ट्रद्रोहियों को देते साथ /
हिन्दुस्थान में रहने का नहीं योग्यता रखते है /
               ------------- राजेश कुमार श्रीवास्तव

लाईक, कॉमेंट और शेयर ( कहानी )

सुबह के साढ़े छह बजते ही मेरे स्मार्ट फोन का अलार्म बजने लगा और मेरी नींद टूट गई /सूरज का मंद प्रकाश खिड़कियों से आकर घर को उजाले से भर चुका था / सबसे पहले मैंने अपने बेड के पास ही लगे नाईट लैंप के स्विच को ऑफ किया / फिर सिराहने रखे बोतल से आधा बोतल पानी गटकने के बाद बेड से निचे उतारा और बाथरूम की ओर बढ़ा /  सुबह साढ़े सात बजे मुझे ऑफिस के लिए निकलना पड़ता है  इसलिए मै साढ़े छह बजे का अलार्म सेट करके बेड पर ही रख देता हूँ / मुझे फ्रेश होने के लिए टॉयलेट में पंद्रह से बीस मिनट तक बैठे रहने की आदत सी बन गई है / मेरे व्यस्ततम जीवन में इस १५ -२० मिनट का बेकार नष्ट हो जाना तब तक अखरता था जब तक मेरे पास स्मार्ट फोन नहीं था / कइयों ने मुझे टॉयलेट में न्यूजपेपर पढ़ने की सलाह दी लेकिन मुझे पेपर लेकर टॉयलेट में बैठने में घिन महशुस होता था / लेकिन जब से स्मार्ट फोन लिया हूँ मेरे इस बेकार नष्ट हो रहे समय का सदुपयोग होने लगा है / मै टॉयलेट में अपने साथ मोबाइल फोन को भी ले जाता हूँ और इस पंद्रह बीस मिनटों में फेशबुक, व्हाट्सऐप , ट्विटर मेलबॉक्स सब चेक कर लेता हूँ / "न्यूज़हंट" पर मुख्य समाचारों को भी दृष्टिपात कर लेता हूँ /मोबाइल फोन हाथ में देखते ही श्रीमती जी की जो खीच-खीच सुनना पड़ता था उससे भी मुक्ति मिल गई है /  अब तो २० मिनट की जगह आधे घंटे भी कुमोट पर बैठा रहूँ तो भी नहीं अखरता / मेरे लिए तो मेरा स्मार्ट फोन अब समय बर्बाद करने का नहीं समय का सदुपयोग करने का साधन बन गया है /
आज भी जब मै टॉयलेट में प्रवेश किया तो मेरा मोबाइल फोन मेरे साथ ही था / कुमोट पर  बैठते ही रोजाना की तरह की तरह सबसे पहले फेसबुक खोला / १० नोटिफिकेशन थे / इसमें से दो मेरे काम के थे / मेरे पिछली पोस्ट पर एक लाइक और एक कॉमेंट था / कॉमेंट को मैंने लाइक किया और आगे बढ़ा / मित्रों के कुछ पोस्ट थे अधिकांस सुन्दर-सुन्दर तस्बीरों के साथ सुप्रभात , गुड मॉर्निंग जैसे सन्देश ही थे  / मै सबको लाइक करते हुए आगे बढ़ रहा था / कुछ सुन्दर महिलाओं और नजदीकी मित्रों को कॉमेंट में मै भी सुप्रभात और गुड मॉर्निंग लिख रहा था / स्क्रॉल करते करते अचानक मेरी नज़र एक पोस्ट पर पड़ी , लिखा था  "कृपया इस पोस्ट को  इग्नोर मत करना /" मेरी उत्सुकता बढ़ी मैंने कंटिन्यू किया / आगे लिखा था / "इस पोस्ट को लाइक करके कॉमेंट में जय माता दी लिखकर ज्यादा से ज्यादा लोगों में शेयर करें आज आपको कोई अच्छा न्यूज मिलेगा / इग्नोर करने वालों को अनहोनी का सामना करना पड़ सकता है /" निचे बैष्णव देवी का फोटो था / मैंने तुरंत स्क्रॉल करके उस फोटो को स्क्रीन से हटाया और आगे बढ़ गया / मैं धार्मिक प्रवृर्ति का हूँ लेकिन धर्म भीरु नहीं हूँ / मैंने ना तो उस पोस्ट को लाइक किया ना ही कॉमेंट में कुछ लिखा या इसे शेयर किया / फ्रेश होने के बाद ब्रश किया और  बाथरूम से बाहर निकला / निकलकर, फोन को चार्ज करने के लिए उसे चार्जर के साथ कनेक्ट किया / फिर ना जाने क्यों मुझे उस पोस्ट को फिर से देखने की इच्छा जागृत हुई / मैंने फेसबुक खोलकर उस पोस्ट को फिर से एकबार देखा / इसे २ घंटे पहले ही मेरे एक फेसबुक मित्र के द्वारा पोस्ट किया गया था / और अब तक इसे ४० लाइक और ३७ कॉमेंट मिल चुके थे / इसे २० लोगों ने शेयर भी कर दिया था / इतनी जल्दी इतने लाइक, कॉमेंट और शेयर तो मेरे किसी भी पोस्ट को नहीं मिले थे / मैंने माता वैष्णवी को मन ही मन प्रणाम किया और उस पोस्ट पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए फोन को चार्ज होने के लिए रख दिया / स्नान करने के पश्चात नित्य की भाँति घर के ही मंदिर में पूजा- अर्चना करने लगा / धूपकाठी जलाकर जब माता दुर्गा को दिखा रहा तो अचानक उस पोस्ट में लिखे शब्द मेरी आँखों के सामने नाचने लगे / " इस पोस्ट को लाइक करके कॉमेंट में जय माता दी लिखकर ज्यादा से ज्यादा लोगों में शेयर करें आज आपको कोई अच्छा न्यूज मिलेगा /" हालांकि मुझे कई दिनों से कुछ अच्छा न्यूज पाने का इंतज़ार था फिर भी मैंने इसे बकवास समझ कर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई / लेकिन जैसे ही मुझे बाद का लाइन याद पड़ा जिसमे लिखा गया था  " इग्नोर करने वालों को अनहोनी का सामना करना पड़ सकता है /"  ने मुझे परेशान कर दिया / अनहोनी की कल्पना ने मुझ जैसे मजबूत ह्रदय वालों को भी कमजोर बना दिया / जल्दी- जल्दी पूजा समाप्त करके ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा लेकिन पोस्ट के अंतिम कुछ शब्द मुझे अब तक परेशान कर रहे थे / कभी सोचता यह पब्लिसिटी स्टंट है / मुझे झांसे में नहीं आना चाहिए / फिर अनहोनी की संभावना भी मुझे उस पोस्ट को लाइक, कॉमेंट और शेयर के लिए उकसाने लगती / बड़ी अजीबोगरीब स्थिति मेरे सामने उत्पन्न हो गई थी /
खाने के टेबल पर नाश्ता लगाकर श्रीमती जी मेरा इंतजार कर रही थी / नाश्ता के लिए टेबल पर बैठकर भी मै उसी उहा-पोह में पड़ा था की मुझे इसे अन्धविश्वास मानकर इग्नोर कर देना चाहिए या फिर पोस्ट में कही गई बात को सच मानकर विश्वास कर लेना चाहिए / कहते है की अपनो के साथ परेशानियों को बांटने पर परेशानिया काम होती है / और उस खाने के टेबल पर  मेरी सबसे करीबी साथी मेरी स्त्री मेरे साथ ही बैठी थी /  मैंने नाश्ता करते करते इस पोस्ट की घटना को श्रीमती जी को सुनाया / उसने कहा तो कर दो ना / कर देने में क्या जाता है /
मैंने कहा-" मुझे प्रतिक्रिया देने से कोई आपत्ति नहीं है / लेकिन इससे मेरी धर्म के प्रति कमजोरी प्रदर्शित होगी / धर्म के प्रति ऐसी ही कमजोरी का कुछ लोग फ़ायदा उठाकर ठगी करते है और धर्म बदनाम होता है /" अपने श्रीमती जी परेशानी शेयर करने के बाद में स्वयं को कुछ हल्का महसूस कर रहा था / इसलिए
मैंने पोस्ट पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देने का दृढ निश्चय कर लिया /  मैंने अपने स्कूल के किताब में पढ़ा था की " दृढ संकल्प से दुबिधा की बढ़िया काट जाती है /" मेरी भी दुबिधा की बेड़ियाँ कट चुकी थी /
लेकिन औरते स्वभाव से ही धर्म के प्रति काफी भीरु होती है / श्रीमती जी भी जिद पर उतारू हो गई / कहने लगी " मेरी बात मानो जैसा लिखा है वैसा कर दो / नहीं करने से यदि कुछ अनहोनी हो गई तो बाद में पछताना पडेगा / ऐसे भी अपने दिन-काल कुछ अच्छे नहीं चल रहे / तुम्हे बात मान लेने से यदि कुछ अच्छा हो गया तो क्या खराबी है /"
मैंने उसे समझाना चाहा -" ऐसा कुछ नहीं होता / लोग अपनी पोस्ट को प्रचार दिलवाने के लिए ऐसा करते है /"
श्रीमती जी भी जिद पर अड़ गई और कहने लगी " यदि तुम नहीं करते तो दो मैं कर देती हूँ /" इतना कहते -कहते वह मेरे हाथ से फोन लेने के लिए अपना  हाथ बढाई/  अब जाकर मुझे झुकना ही पड़ा / मैंने पहले उस पोस्ट को शेयर किया फिर अपने शेयर किये पोस्ट को लाईक और कॉमेंट में लिख दिया -"कृपया ऐसे पोस्ट सेयर करके लोगों के धार्मिक भावनाओं का खिल्ली ना उड़ाया जाय /"

इज्जत ( लघु कथा )

कालबेल बजते ही श्रीमती जी दौड़े -दौड़े आई , दरवाजा खोला और मुस्कुराकर धन्यवाद कहते हुए मेरे हाथ से  थैले को ले लिया / फिर थैले से एक -एक कपडे निकालने लगी / कांजीवरम साड़ी, पेटीकोट, डिजायनर ब्लाउज के बाद जैसे ही उन्हें एक शर्ट और पेंट दिखाई दिया उनका खिला चेहरा अचानक से मुरझा गया  / उसने ऊँचे आवाज़ में पूछा " ये किसके लिए ?"
" मैंने अपने लिए लिए है / "
फिर क्या था सारे कपड़ों को उठाके जमीन पर पटक दी और शुरू हो गई -
" क्या जरुरत थी तुमको पेंट -शर्ट लेने की / दर्जन भर पड़े हुए है / मैं एक -एक पैसा बचा कर घर चलाऊ और तुम्हे उड़ाते देर नहीं लगती /"
मै अपराधी की तरह सर झुकाये सब सुन रहा था /
उनका रिकॉर्ड चालू था -" माना की तुम कमाते हो / लेकिन घर तो मुझे ही सम्हालना पड़ता है न / इस तरह की फिजूलखर्ची करते रहे तो एकदिन पुरे परिवार को सड़क पर आ जाना पडेगा / "
" लेकिन तुमने ही तो कहा था "- मै उसे उसकी कही बात को याद दिलाना चाहा /
" क्या कहा था ? क्या कहा था ? -उसने मुझसे जानना चाहा /
" तुमने कहा था कि मिश्रा जी के बेटी कि शादी में जाना है / बड़े लोग कि पार्टी है / बड़े-बड़े लोग आएंगे / तुमने अपनी सारी साड़िया एक न एक बार पहन लिया है / इसलिए कोई नया साड़ी पहनना होगा / नहीं तो इज्जत का सवाल है / लोग हसेंगे कि तुम एक ही साड़ी को एकाधिक पार्टियों में पहनती हो / "
" हाँ वो तो मैंने अपने साड़ी के लिए कहा था/"
" फिर दुकान में मुझे ख्याल आया कि मैं भी तो अपने सारे कपड़ों को अनगिनत बार पहन चुका हूँ / इसलिए मैंने भी अपने लिए नए कपडे ले लिए आखिर पार्टी तो मुझे भी अटेंड करना है /"
मेरे अकाट्य तर्क के सामने श्रीमती जी थोड़ी नरम पड़ती नज़र आई /
फर्श पर पड़े कपड़ों को सहेजते हुए बोली " खैर छोडो / मैंने और कुछ भी लाने को कहा था /"
" हाँ , लोरियल का फेस क्रीम, फेस पाउडर , और लोटस का लिप लाइनर और लिपिस्टिक तथा काजल सब मिल गया / उसी थैले में है /"
" पार्लर वाली को बोल दिए ना ?"
" हाँ उसे भी बोल दिया हूँ / गोल्ड फेसियल के लिए चार हज़ार लेगी / मैंने उसे ५०० रुपये देकर बुक कर दिया है /"
" धन्यवाद / लेकिन तुम्हे इतने महंगे शर्ट-पेंट नहीं लेने चाहिए थे / पैसे के दिक्क्त चल रहे है / भविष्य के विषय में भी सोचना चाहिए /"
" लेकिन क्या करू / तुम्हारे भैया को महंगे और ब्रांडेड कपडे ही पसंद है जो /"
" तो तुम कब से मेरे घरवालों की पसंद की कपडे पहनने लगे ?"
" ये मेरे लिए नहीं तुम्हारे भैया के लिए ही है / अगले सप्ताह उनका जन्मदिन है और तुम तो उन्हें बिना उपहार दिए मानोगी नहीं / बाजार गया था तो सोचा क्यों नहीं ये भी निपटाता चालू /"
" सचमुच तुम बहुत महान हो / नाहक मै तुम पर गुस्सा कर बैठी / मैं तो भूल ही गई थी / तुम्हे याद है  मेरे भैया का जन्मदिन / और कुछ तो उपहार देना ही पडेगा आखिर इज्जत का सवाल जो है / "
मैंने मन ही मन कहा भले ही मैं अपना सब दिन भूल जाऊ ससुराल वालों का प्रत्येक दिन याद रखना पड़ता है / तूफान से किसे डर नहीं लगता /    
     

बलात्कार जारी है -----(लघु कथा)

पीड़िता अपने स्वजनो के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने और मेडिकल टेस्ट कराने के बाद जैसे ही घर पहुंची उसने देखा घर पर मीडिया वालों का जमावड़ा लगा था  / टैक्सी से उनके उतरते ही मीडिया के लोग अपने-अपने कैमरे और माइक लेकर पीड़िता के पास पहुँच गए / उसके घरवालों ने मीडिया वालों को रोकना चाहा लेकिन वो खुद मीडिया से बात करने को उत्सुक नज़र आ रही थी / आँखों के आसूँ अभी पूरी तरह से सूखे ना थे / लेकिन सुबह जब वह रिपोर्ट लिखाने थाने जा रही थी तब उसके चेहरे से जो हताशा, शोक दिख रहा था वो अब गायब था / उसमे गजब का आत्मविश्वास जग गया था /
मीडिया वाले -" मैडम, एक मिनट -एक मिनट / "
पीड़िता -" पूछिये क्या पूछना है ?"
रिपोर्टर ने अपने हाथों की माइक को आन करके कैमरे की तरफ मुखातिब होकर बोलने लगा /
" तो आइये मिलते है उस महिला से जिसे उसी के मुहल्ले के एक दबंग के हवस का शिकार बनना पड़ा / ये वही महिला है जिसे उनके पडोश के एक दबंग ने रास्ते से उठाकर अपनी चलती कार में अपने मित्र के साथ मिलकर हवस का शिकार बनाया / ये महिला रोती रही , गिड़गिड़ाती रही लेकिन उन्होंने इसे बेरहमी से अपनी हवस का शिकार बनाया /   फिर एक सुनसान जगह पर कार से उतारकर चले गए / चलिए जानते है उन्ही से कैसी हुई यह घटना /"
फिर रिपोर्टर ने अपने चेहरे को कैमरे से हटाकार माइक को पीड़िता के मुँह के पास ले गया / कैमरामैन ने अपने कैमरे को पीड़िता पर फोकस किया /
रिपोर्टर -" आप बताइये कैसे हुआ यह घटना /"
पीड़िता -" कौन सी घटना ?"
रिपोर्टर -" हमें खबर मिली है की आज सुबह जब आप सुबह की सैर से लौट रही थी तब कुछ लोगों ने आपको जबरन अपनी कार में उठा लिया और चलती कार में आपके साथ बलात्कार किये /"
पीड़िता -" मेरा बलात्कार हुआ नहीं,  वो अब भी जारी है /"
रिपोर्टर -" कौन है वे लोग जो अबतक आपके साथ बलात्कार किये जा रहे है ?"
पीड़िता का चेहरा एक बार फिर गुस्से से लाल हो गया / उसकी आवाज़ कांपने लगी और आँखे आंसुओं से भर आई / उसने कांपते आवाज़ में जबाब देना प्रारम्भ किया /" सबसे पहले तो उन जालिमों ने मेरे इज्जत को तार-तार किया जिन्होंने मुझे अपने कार में जबरन उठाया था /"
रिपोर्टर -" उसके बाद ?"
पीड़िता -" उसके बाद पुलिस वालों ने /"
रिपोर्टर आश्चर्य से -" क्या पुलिस वालों ने भी आपके साथ -----------/"
पीड़िता -" जब मै रिपोर्ट लिखाने के लिए थाने पहुँची तो मुझसे पूछे गए कुछ सवाल थे / आपको गाड़ी में बैठा कर रेप किये या सुलाकर ? कौन आपके साथ पहले रेप किया / आपने विरोध क्यों नहीं किया / आपके किन-किन अंगो को छुआ गया ? उन अंगो में कोई जखम है या नहीं ? दोनों ने एक साथ किये या बारी बारी से / और कुछ ऐसे भी सवाल पूछे गए जिसे कहने में मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मुझे अब भी कोई बलात्कार कर रहा हो / इस तरह के अनर्गल सवाल क्या किसी बलात्कार से कम है ? मुझे पुलिस को अपने उन निजी अंगों को भी दिखने पड़े जिन्हे उन हरामजादों ने जख्मी किया था / "
रिपोर्टर -"उसके बाद ?"
"उसके बाद क्या ? फिर थानेदार ने हमें हॉस्पिटल में मेडिकल टेस्ट कराने के लिए भेजा और वहाँ भी डॉक्टरों और नर्सों ने  मेरे साथ बलात्कार किये / मेडिकल जाँच के नाम पर डॉक्टरों ने मेरे एक -एक अंगों के साथ छेड़छाड़ की  / मैं कार के जैसा वहाँ छटपटा भी नहीं पा रही थी / नर्स भी आपस में चटकारे लेकर मुझे ही चरित्रहीन ठहरा रही थी "
फिर अचानक वह जोर जोर से रोने लगी रिपोर्टर ने उसे सम्हालने की कोशिस की लेकिन वह ढंग से खड़ा भी नहीं हो पा रही थी / उसके परिवार वाले उसे लगभग घसीटते हुए घर की और ले जाने लगे वह चिल्ला चिल्ला कर बोले जा रही थी /
" हॉस्पिटल के बाद तुम जैसे पत्रकारों ने अपनी दुकान चलने के मेरे घावों को कुरेद कर मेरा फिर से बलात्कार कर रहे हो / और जो कसर बाकी रह जाएगी उसे न्यायलय में जज साहब पूरा कर देंगे / "
इतना कहते कहते वह घर के अंदर पहुँचा दी गई / घर के दरवाजे बंद कर दिए गए / लेकिन उस पीड़िता के लिए दुखों का दरवाजा अब भी खुला ही रहने वाला था /