बुधवार, 14 जनवरी 2015

अवकाश ग्रहण

सरकारी कर्मचारी

अवकाश ग्रहण के महीनो पहले -
सेवा निवृत हो जाता है /
बची -खुची छुट्टियों का-
जमकर लुफ्त उठाता है /
जिम्मेवारियों के साथ -साथ -
अपूर्ण फाइलों को-
कनिष्ठों की तरफ सरकाता है /
भविष्यनिधि, पेंसन, ग्रेच्युटी -
की सारी औपचारिकताएं -
रिटायर्ड होने के पहले ही -
जब पूरी कर पाता है /
तब वह चैन की वंशी बजाता है /

सैनिक

अवकाश ग्रहण का समय नजदीक आते ही-
शोक में डूब जाता है /
मातृ भूमि के सेवा से -
निवृत होने को याद कर -
ना सोता है ना जाग पाता है /
बचे -खुचे समय में-
अपने वतन की खातिर -
ज्यादा से ज्यादा योगदान हेतु-
वह मौत से भी नहीं घबड़ाता है /
फिर भी अवकाश ग्रहण के दिन-
वरिष्ठों के सामने-
सेवा अवधी विस्तार के लिए /
रोता है , गिड़गिड़ाता है /
मौक़ा मिलते ही -
फिर नई उत्साह से -
देश सेवा में लग जाता है /

नेता

पता नहीं अवकाश ग्रहण का -
समय क्या कहलाता है ?
आँखों से ना दीखता है /
ना कानों से सुन पाता है
पद पाने के लिए -
केवल दौड़ता चला जाता है /
वरिष्ठ हो तो कनिष्ठों को-
कनिष्ठ हो तो वरिष्ठों को-
लंगड़ी मार गिराता है /
अस्सी, नब्बे सौ बरस तक भी -
पद के लिए लार टपकाता है /
हाथ, पैर, जबान जब -
सब जबाब दे जाता है /
तब भी नेता -
अवकाश ग्रहण से कतराता है /