मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

एड्स


मैंने डॉक्टर के चेम्बर से निकलते हि प्रिस्क्रिप्सन पर एक नजर डाला /
ठीक मेरे नाम और उम्र के नीचे अंग्रेजी में जो कुछ लिखा था उसका अर्थ था कि मेरे दाहिने पैर में एक घाव लगभग दो सप्ताह से है / साथ में मंद-मंद बुखार भी है /
ठिक हि तो है,  मैंने भी डॉक्टर से यही बतलाया था/ घाव जब छोटा था तभी से कुछ घरेलु उपचार किया फिर मेडिकल स्टोर से दवा लाकर खाया लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ/ जब दर्द बढ़ने लगा और बुखार भी आने लगा
तब जाकर मैंने डॉक्टर की सलाह लेना उचित समझा /
मैंने प्रिस्क्रप्सन पर निचे नजर दौड़ाया/
ब्लड प्रेसर -१२०/८० / मुझे राहत मिला क्योकि बहुत दिनों से ब्लड प्रेशर नहीं जचवाया था/ ऐसे मुझे BP की कोई शिकायत नहीं है / लेकिन फिर भी मैं जिस तनावग्रस्त माहौल में काम करता हूँ मुझे हाई ब्लड-प्रेशर का डर सदैव बना रहता है /
निचे कुछ दवाओं के नाम थे जिसकी लिखावट इतनी ख़राब थी कि मैं उन्हें पढ़ नहीं पाया / ऐसे भी डॉक्टरों की  लिखावट केवल मेडिकल स्टोर वाले हि पढ़ पाते है / दवाओं के नाम के निचे कुछ टेस्ट करवाने के लिए लिखा गया था/ मैंने एक -एक कर उनपर नजर डालना और उनमे लगाने वाले खर्च का अनुमान लगाना आरम्भ किया / चुकी मैं इसके पहले भी अपना और घरवालों का इतनी बार मेडिकल टेस्ट करवा चुका था कि मेरे लिए खर्च का अनुमान लगाना कठिन नहीं था/
TC / DC / ESR /Hg %,  ये तो रक्त के रूटीन टेस्ट है / लगभग १५० रुपये खर्च आयेंगे/
सूगर खाली पेट और खाने के बाद वाला दोनों -खर्च होगा १२० रूपये/
ब्लीडिंग टाइम और क्लॉटिंग टाइम / इसमें भी ज्यादा खर्च नहीं आता / किसी अच्छे लैब में भी १०० रुपये में हो जाता है /
लेकिन ये क्या ! मुझे तो जैसे सांप सुध गया / HIV -I & II / लेकिन एचआईवी टेस्ट क्यों ? क्या मुझे एड्स हो गया है ? सोचकर मेरा शरीर कांपने लगा /
फिर मैं सोचने लगा "मुझे भला एड्स क्यों होगा ? असुरक्षित या अप्राकृतिक  यौन सम्बन्ध तो क्या मैंने कभी किसी के साथ आज तक सम्बन्ध नहीं बनाये / वर्षों पहले एक इंजेक्शन लिया था वो भी नए सिरिंज से / मैं नशीले पदार्थों का सेवन भी नहीं करता / रक्त भी कभी नहीं चढ़वाना पड़ा है / "
कही मैं गलत तो नहीं पढ़ा / मैंने एक बार फिर प्रेस्क्रिप्सन पर नजर दौड़ाया / नहीं HIV -I & II  ही लिखा था/ मेरे शरीर से पसीना निकलना शुरू हो चुका था / मैं डॉक्टर के घर के बाहर सड़क के किनारे खड़ा होकर बस का इन्तेजार कर रहा था / मैं सोच रहा था कि आखिर एड्स  का शक है तभी तो डॉक्टर ने मुझे HIV टेस्ट करने को कहा है / मैं कुछ पुरानी घटनाओं को याद करने लगा जो HIV पॉजिटिव के कारन हो सकते थे  / एक बार सड़क पार करते समय एक बच्चे को मोटर ने धक्के मार दिया था/ उसके हाथों के उँगलियों से खून बह रहा था / मैंने उसे हॉस्पिटल पहुचाया था /उसके उँगलियों से निकले खून मेरे हाथों में लग गए थे/  कही उसके खून से संक्रमण तो नहीं हुआ/
" नहीं उस बच्चे को भला क्यों एड्स होगा/"
" कही उस अन्नास बेचने वाले को एड्स तो नही था जिसे अन्नास काटते समय हाथ कट जाने से खून बहने लगा था/
लेकिन उसने तो अपनी हाथ अच्छी तरह से धो डाला था /
मैं वही खड़े -खड़े कई घटनाओं को याद कर डाला जिससे मुझे संक्रमण हो सकता था / लेकिन मुझे कोई भी ऐसी घटना याद नहीं आई जिससे संक्रमण की सौ प्रतिशत गारंटी हो /
मेरे चहरे का रंग मेरे अंदर के खौफ को उजागर कर रहा था/
ना जाने कितनी बसें आई और चली गई लेकिन मैं सोच में डूबा वही जड़ हो गया था /
अचानक मुझे ख्याल आया क्यों ना मैं इंटरनेट पर सर्च करके एड्स के लक्षण तलासु /
तुरंत मैंने अपना मोबाइल ऑन किया और सर्च करने लगा /
उलटी, दस्त, चेहरे पर फुंशी, मंद बुखार / मुझे इसमें से केवल बुखार को छोड़कर कुछ भी तो नहीं / मुझे एडस नहीं है / थोड़ी राहत महसूस हुई / फिर मैं खुद को और ज्यादा संतुस्ट करने के लिए दूसरे साईट का पेज खोला / एक जैसे ही लक्षण यहाँ भी लिखे थे लेकिन लिखा था ऐसे लक्षण प्रकट होने में संक्रामण के  तिन सप्ताह से चार -पांच वर्ष  तक लग सकते है /
फिर अचानक मेरे चेहरे पर उदासी छा गई / कही हाल-फ़िलहाल तो संक्रमण नहीं हुआ / इसलिए सारे लक्षण नहीं पकट हो रहे / मैंने सूना था HIV पॉजिटिव लोगों की रोग प्रतिरोधक छमता कम होती जाती है / फिर ख्याल आया मेरा घाव नहीं ठीक हो रहा है / कही मेरी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम तो नहीं हो रही / जरुर तभी डॉक्टर ने मुझे HIV टेस्ट के लिए कहा है / यदि मेरा टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया तो ? मैं मर जाउंगा / लोग मुझे गलत समझेंगे / सब मेरे चरित्र पर उंगली उठाएंगे/ मेरे परिवार से लोग डरेंगे / लोग उनसे नफ़रत करने लगेंगे / सब कुछ नस्ट हो जायेगा / लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा / मैं घर छोड़ कर भाग जाउंगा / कम-से कम मेरे परिवार के लोग तो बच जायेंगे/ नहीं, मैं किसी गाड़ी के सामने कूद कर जान दे दूंगा / लोग समझ भी नहीं पाएंगे और मेरे परिवार को कुछ रुपये भी मिल जायेंगे /"
मै खुद को HIV पॉजिटिव मानकर अगले कदम का सोच रहा  था तभी ख्याल आया कि क्यों ना मैं इससे बचने के विषय में जानकारी लू / मैंने इंटरनेट पर सर्च करना शुरू किया / लेकिन मुझे इस लाइलाज बीमारी के ठीक होने के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुआ / मेरे शरीर को काटो तो खून नहीं / सारे बदन से पसीना निकल रहा था/ घबराहट ने मेरे चेहरे का रंग फीका कर दिया था/ ऐसी अवस्था में यदि कोई देखता तो मुझे जरुर कोई गम्भीर बीमार वयक्ति समझ बैठता / तभी मेरी परेशानी कुछ कम नज़र होती दिखलाई पड़ी / मैंने एक पेज में पढ़ा कि एड्स के इलाज़ की  दवा का परिक्षण अंतिम दौर में है / जल्द ही यह प्रयोग में आने लगेगा / अब मैंने मरने का इरादा बदल डाला / चलो HIV पॉजिटिव लोग तो कई वर्षों तक साधारण जिंदगी गुजारते है / इस दौरान यदि यह दवा बाजार  में आ गई तो मैं ठीक हो जाउंगा / तभी ख्याल आया यदि इसे आने के पहले मैं मर गया तो ? यह सोचते ही मेरा शरीर कांपने लगा / नहीं मुझे एड्स नहीं हो सकता / डॉक्टर गलत अंदाज़ लगाये है / मुझे उनसे बात करनी होगी /
मैं तुरंत मुड़कर उनके चेंबर में प्रवेश किया / डॉक्टर ने मुझे देखते ही कहा " बड़े घबराये लग रहे हो / दर्द क्या बढ़ गया है / "
" नहीं डॉक्टर साहब "
"तो क्या हुआ क्यों रो रहे हो ?" मेरे आँखों से आंसू  टपकने लगे थे /
मैंने हिम्म्त जुटाकर उनसे पूछा " क्या मुझे एड्स का शक है ?"
डॉक्टर साहब ने आश्चर्य से मेरी और देखा और कहा  " ऐसी बात तो नहीं / तुम्हे तो बाल टूट जाने से घाव हो गया है / टेस्ट रिपोर्ट देखने के बाद एक छोटा सा ऑपरेशन करना होगा / सब ठीक हो जायेगा / "
" फिर आपने HIV टेस्ट कराने को क्यों लिखा है ? " मैं उनसे जानना चाहा /
" अरे! बुद्धू आजकल सरकार ने ऐसे नियम बना दिए है कि कोई सर्जरी करने के पहले HIV टेस्ट कराना अनिवार्य है / सिर्फ इसलिए / " डॉक्टर ने हँसते -हँसते मेरा गाल थपथपाया /
मुझे राहत मिला / बस पकड़कर मैं घर लौटा / खाना खाने के बाद जब बिस्तर पर आया तो एक बार फिर सोच में डूब गया / भले ही यह कानून के तहत टेस्ट कराया जा रहा है / लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि यह पॉजिटिव नहीं होगा / यह ख्याल आते ही फिर मेरी स्थिति पहले जैसी हो गई /
मैंने अगले ही दिन लैब जाकर रक्त दिया / और रिपोर्ट को मेरे घर पर पहुंचाने का अनुरोध किया /
तिन दिनों तक मैं मारे डर के कुछ -खाता ना पीता/ दिन-रात घर के कमरे में सोया रहता/ तरह -तरह के ख्याल मुझे बेचैन कर रहे थे /
चौथे दिन जब रिपोट घर आया तो उसे देखकर लगा जैसे मैं एड्स के बिमारी से मुक्त हो  गया  हूँ / मेरा टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव था/ मैंने भगवान को लाख-लाख शुक्रिया अदा किया/

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