मंगलवार, 30 दिसंबर 2014




ना सूरज बदलता है /
ना चाँद बदल पाता है /
धरती का एक -एक कोना -
पहले सा ही रह जाता है /
सिंह दहाड़ता है/
बकरी मिमियाती है /
हर साँझ के बाद -
आदमी रात को ही पाता है /
दिसंबर का आखिरी दिन -
जैस हि गुजर जाता है /
नए साल की नई सुबह-
सिर्फ कैलेण्डर का पन्ना बदल जाता है /
लेकिन-
मानव चाहे तो -
क्या नहीं कर पायेगा /
ठान ले करने को कुछ तो-
आसमाँ को भी झुकाएगा /
चलो इस नए साल में -
कुछ नया करने की जिद कर डाले /
मरकर स्वर्ग पाने की -
चाहत बदल डाले -
नई सोच, नई ऊर्जा, दृढ विश्वास -
स्वर्ग को हीं धरती पर -
उतरने को मजबूर कर डाले /



अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये /

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