शुक्रवार, 18 मार्च 2016

बलात्कार जारी है -----(लघु कथा)

पीड़िता अपने स्वजनो के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने और मेडिकल टेस्ट कराने के बाद जैसे ही घर पहुंची उसने देखा घर पर मीडिया वालों का जमावड़ा लगा था  / टैक्सी से उनके उतरते ही मीडिया के लोग अपने-अपने कैमरे और माइक लेकर पीड़िता के पास पहुँच गए / उसके घरवालों ने मीडिया वालों को रोकना चाहा लेकिन वो खुद मीडिया से बात करने को उत्सुक नज़र आ रही थी / आँखों के आसूँ अभी पूरी तरह से सूखे ना थे / लेकिन सुबह जब वह रिपोर्ट लिखाने थाने जा रही थी तब उसके चेहरे से जो हताशा, शोक दिख रहा था वो अब गायब था / उसमे गजब का आत्मविश्वास जग गया था /
मीडिया वाले -" मैडम, एक मिनट -एक मिनट / "
पीड़िता -" पूछिये क्या पूछना है ?"
रिपोर्टर ने अपने हाथों की माइक को आन करके कैमरे की तरफ मुखातिब होकर बोलने लगा /
" तो आइये मिलते है उस महिला से जिसे उसी के मुहल्ले के एक दबंग के हवस का शिकार बनना पड़ा / ये वही महिला है जिसे उनके पडोश के एक दबंग ने रास्ते से उठाकर अपनी चलती कार में अपने मित्र के साथ मिलकर हवस का शिकार बनाया / ये महिला रोती रही , गिड़गिड़ाती रही लेकिन उन्होंने इसे बेरहमी से अपनी हवस का शिकार बनाया /   फिर एक सुनसान जगह पर कार से उतारकर चले गए / चलिए जानते है उन्ही से कैसी हुई यह घटना /"
फिर रिपोर्टर ने अपने चेहरे को कैमरे से हटाकार माइक को पीड़िता के मुँह के पास ले गया / कैमरामैन ने अपने कैमरे को पीड़िता पर फोकस किया /
रिपोर्टर -" आप बताइये कैसे हुआ यह घटना /"
पीड़िता -" कौन सी घटना ?"
रिपोर्टर -" हमें खबर मिली है की आज सुबह जब आप सुबह की सैर से लौट रही थी तब कुछ लोगों ने आपको जबरन अपनी कार में उठा लिया और चलती कार में आपके साथ बलात्कार किये /"
पीड़िता -" मेरा बलात्कार हुआ नहीं,  वो अब भी जारी है /"
रिपोर्टर -" कौन है वे लोग जो अबतक आपके साथ बलात्कार किये जा रहे है ?"
पीड़िता का चेहरा एक बार फिर गुस्से से लाल हो गया / उसकी आवाज़ कांपने लगी और आँखे आंसुओं से भर आई / उसने कांपते आवाज़ में जबाब देना प्रारम्भ किया /" सबसे पहले तो उन जालिमों ने मेरे इज्जत को तार-तार किया जिन्होंने मुझे अपने कार में जबरन उठाया था /"
रिपोर्टर -" उसके बाद ?"
पीड़िता -" उसके बाद पुलिस वालों ने /"
रिपोर्टर आश्चर्य से -" क्या पुलिस वालों ने भी आपके साथ -----------/"
पीड़िता -" जब मै रिपोर्ट लिखाने के लिए थाने पहुँची तो मुझसे पूछे गए कुछ सवाल थे / आपको गाड़ी में बैठा कर रेप किये या सुलाकर ? कौन आपके साथ पहले रेप किया / आपने विरोध क्यों नहीं किया / आपके किन-किन अंगो को छुआ गया ? उन अंगो में कोई जखम है या नहीं ? दोनों ने एक साथ किये या बारी बारी से / और कुछ ऐसे भी सवाल पूछे गए जिसे कहने में मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मुझे अब भी कोई बलात्कार कर रहा हो / इस तरह के अनर्गल सवाल क्या किसी बलात्कार से कम है ? मुझे पुलिस को अपने उन निजी अंगों को भी दिखने पड़े जिन्हे उन हरामजादों ने जख्मी किया था / "
रिपोर्टर -"उसके बाद ?"
"उसके बाद क्या ? फिर थानेदार ने हमें हॉस्पिटल में मेडिकल टेस्ट कराने के लिए भेजा और वहाँ भी डॉक्टरों और नर्सों ने  मेरे साथ बलात्कार किये / मेडिकल जाँच के नाम पर डॉक्टरों ने मेरे एक -एक अंगों के साथ छेड़छाड़ की  / मैं कार के जैसा वहाँ छटपटा भी नहीं पा रही थी / नर्स भी आपस में चटकारे लेकर मुझे ही चरित्रहीन ठहरा रही थी "
फिर अचानक वह जोर जोर से रोने लगी रिपोर्टर ने उसे सम्हालने की कोशिस की लेकिन वह ढंग से खड़ा भी नहीं हो पा रही थी / उसके परिवार वाले उसे लगभग घसीटते हुए घर की और ले जाने लगे वह चिल्ला चिल्ला कर बोले जा रही थी /
" हॉस्पिटल के बाद तुम जैसे पत्रकारों ने अपनी दुकान चलने के मेरे घावों को कुरेद कर मेरा फिर से बलात्कार कर रहे हो / और जो कसर बाकी रह जाएगी उसे न्यायलय में जज साहब पूरा कर देंगे / "
इतना कहते कहते वह घर के अंदर पहुँचा दी गई / घर के दरवाजे बंद कर दिए गए / लेकिन उस पीड़िता के लिए दुखों का दरवाजा अब भी खुला ही रहने वाला था / 

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